टाइफाइड बुखार क्या है ? यह हमारे शरीर को कैसे और क्या-क्या नुकसान पहुंचाता है यह कैसे होता है? इसके लक्षण क्या होते हैं ? इन सभी विषयों पर आज हम आपको बताएंगे। टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज
टाइफाइड बुखार क्या है ? टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज
यह बुखार जिसे एंटरिक फीवर भी कहा जाता है । यह फीवर सबसे ज्यादा हमारी आंतों को इन्फेक्टेड करता है । जिससे इस बीमारी के मरीज का पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है । यह दो टाइप के बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होता है जिसे salmonella typhi और salmonella paratyphi A और B कहा जाता है ।
यह दोनों टाइप के बैक्टीरिया हमारे मुंह के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं ।
टाइफाइड कैसे होता है ?
जिन लोगों को टाइफाइड होता है उनका अक्सर सवाल होता है कि उन्हें टाइफाइड बार-बार या हर साल कैसे हो जाता है । टाइफाइड फीवर का इन्फेक्शन ओरल ट्रांसमिशन से होता है यानी कि इनफेक्टेड कॉन्टैमिनेटेड फूड और बेवरेज के खाने से होता है
आपको जानकर आश्चर्य होगा यह इंफेक्शन उस व्यक्ति से फैलता है जो कि पहले से ही इनफेक्टेड है । अगर पहले से इनफेक्टेड कोई व्यक्ति अपने मल मूत्र के हाथ ठीक से ना धोए और खाने के किसी सामान को स्पर्श कर दे तो वह उस खाने को भी इनफेक्टेड कर देता है । उसके बाद उस भोजन को खाने वाला व्यक्ति भी टाइफाइड से इनफेक्टेड हो जाता है ।
टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज
कभी-कभी टाइफाइड के मरीज को भी पता नहीं होता कि वह टाइफाइड से इनफेक्टेड है । क्योंकि यह ए सिंप्टोमेटिक होते हैं । इनमें टाइफाइड के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते । इसलिए जब कि कहीं बाहर खाना खाएं तो एक साफ सुथरा स्थान ही चुने । वहां जो भी खाना परोसता है उससे पहले आप ठीक से हाथ धोने का अनुरोध करें । आप उसको दस्ताने पहनने के लिए भी बोल सकते हैं ।
इसके अलावा हमारे हाथों से मुंह के संपर्क में आने से भी टाइफाइड फीवर हो सकता है । जानिए कैसे । अगर कोई व्यक्ति अनजाने में किसी ऐसे शौचालय का प्रयोग करता है जो अपने हाथ अच्छी तरह से ना धोए और वह व्यक्ति उन्हें इनफेक्टेड हाथों से खाना खाए तो वह भी टाइफाइड से इनफेक्टेड हो सकता है।
टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज का सबसे कारगर और पहला उपाय यही है कि आप हमेशा साफ-सुथरी जगह पर ही खाना खाए । नंबर दो हमेशा अच्छे से हाथ धो कर ही खाना खाए ।
लक्षण – symptoms of typhoid in adults in hindi – टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज
यह बुखार salmonella typhi और salmonella paratyphi A और B के शरीर में जाने के 7 से 14 दिन बाद दिखाई देता है । और उसके बाद जैसे-जैसे दिन चढ़ता है या शाम होने लगती है तो यह बुखार बढ़ता चला जाता है और अगली सुबह एकदम से शरीर का तापमान नीचे भी आ जाता है । यह प्रक्रिया चलती रहती है।
पेट की समस्या पहले हफ्ते में मरीज को पेट की समस्या शुरू हो जाती है । मरीज के पूरे पेट में तेज दर्द होता है । कई बार तो यह दर्द इतना ज्यादा होता है कि पेट को छूने भर से ही पेट दुखने लगता है । इससे टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति को बहुत तकलीफ होती है । मरीज को रुक रुक कर पेट के दाएं तरफ दर्द महसूस होने लगता है ।
पेशेंट को कब्ज की समस्या बनी रह सकती है खांसी लगातार बनी रहती है चक्कर आने लगते हैं पेशेंट के सर में विशेषकर सर के आगे के हिस्से में बहुत तेज दर्द होना शुरू हो जाता है इसके अलावा मरीज कभी-कभी बहकी बहकी बातें भी करने लगता है । मरीज का बुखार पहले सप्ताह के आखिरी में जाकर 103 से 104 डिग्री तक पहुंच जाता है ।
typhoid symptoms in hindi – टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज
मरीज की छाती और ऊपरी हिस्से में लाल रंग के चकत्ते बन जाते हैं मरीज इन चकतों का साइज 1 से 4 सेंटीमीटर तक हो सकता है । यह चकत्ते मरीज की छाती और पेट से अपने आप गायब भी हो जाते हैं । कई बार गंभीर लक्षण होने पर सोच में खून आने लगता है इसकी वजह से मरीज को पेरीटोनाइटिस नामक बीमारी हो जाती है । जो कि एक गंभीर बीमारी है । बीमारी है इसकी वजह से कई बार ग्रसित व्यक्ति का ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है
टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज – typhoid symptoms and treatment in hindi
जब तक आपका बुखार कम न हो तब तक अपने माथे पर ठंडी पट्टी लगाएं। अगर आप टाइफाइड से पीड़ित हैं तो तुलसी के पत्ते आपके लिए फायदेमंद हैं। इसके एंटी-बायोटिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण टाइफाइड के बैक्टीरिया को दूर करने में काफी मददगार होते हैं। तुलसी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा देती है और बुखार को भी कम करती है। दस्त के कारण आपका पेट बहुत खराब हो जाता है। तो तुलसी के पत्ते आपके पेट को शांत करने के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।
तुलसी के 20 पत्ते लें और उसमें 1 इंच अदरक को कद्दूकस कर लें। इसे १ कप पानी में उबाल लें। एक बार जब पानी आधा रह जाए तो आपको इस पानी का इस्तेमाल करना होगा। टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज के लिए आप इस पानी का तीन बार उपयोग कर सकते हैं।
टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज में तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों को इस्तेमाल करने का एक और तरीका – 7-8 तुलसी के पत्ते लें और उसका रस निकालें। 1 चुटकी काली मिर्च पाउडर डालें। और अगर आप दिन में 2-3 बार इसका सेवन करेंगे तो। तब यहटाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज में मददगार होगा।
टाइफाइड के दौरान आपके शरीर में पानी की कमी होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए आपको अपने शरीर को हाइड्रेट रखना होगा। इसके लिए अपने तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाना होगा। 8-10 गिलास पानी, हर्बल टी, ताजे फलों का जूस पिएं। नारियल पानी, ताजी सब्जियों का जूस पिएं।
घर पर बनायें ओआरएस
आप घर में बने ओआरएस का सेवन जरूर करें। घर में बने ओआरएस के लिए, एक गिलास पानी में 1 टीस्पून चीनी और एक चुटकी नमक मिलाएं। दिन भर में इस पानी को हर आधे घंटे के अंतराल में किसी भी रूप में पियें। आपको अपने शरीर को हाइड्रेट करना होगा ताकि आप ग्लूकोज के पानी का सेवन कर सकें। इस तरह डायरिया (टाइफाइड के कारण) से कमजोरी नहीं आती है और बुखार कम करने में मदद मिलेगी। इसलिए आपको टाइफाइड होने पर अपने तरल पदार्थ का सेवन बढ़ा देना चाहिए।
लॉन्ग के फायदे
इसी तरह लौंग भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज में काफी फायदेमंद होती है। लौंग के आवश्यक तेलों में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। टाइफाइड के बैक्टीरिया को मारने की क्षमता रखता है। यह टाइफाइड के 2 स्थायी लक्षणों यानी दस्त और उल्टी को नियंत्रित करने में भी बहुत मददगार है।
7-8 लौंग लें और उन्हें 8 कप पानी में उबाल लें। जब तक पानी आधा न रह जाए तब तक इसे उबाल लें। एक बार जब यह हो जाए, तो आंच बंद कर दें और उस पैन या कंटेनर को ढक्कन से ढक दें। जब तक कमरे के तापमान पर पानी सामान्य हो जाए तब तक इसे ढककर रख दें। इसके बाद पानी को छान कर इसका सेवन करें। यह उपाय 7 दिन तक करते रहें। और आप देखेंगे कि आप बहुत आसानी से टाइफाइड के बैक्टीरिया और बुखार से लड़ने में सक्षम हैं। टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज
आशा है आप को टाइफाइड की पूरी जानकारी देने में हम सक्षम रहे होंगे । इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप भी इस बीमारी से बचे रह सकते हैं । आखिर स्वास्थ्य ही जीवन है ।