Friday, October 18, 2024

How to Quit Smoking – बिना Craving धूम्रपान कैसे छोड़े?

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how to quit smoking | धूम्रपान कैसे छोड़े

धूम्रपान का हमारी सेहत पर इतना बुरा प्रभाव पड़ता है यह सभी जानते हैं । धूम्रपान को सिगरेट बीड़ी तंबाकू या पान मसाला किसी भी रूप में लिया जाए, यह हमारी सेहत पर मानसिक और शारीरिक दोनों पर भी बुरा असर करता है ।


आपने बहुत से विज्ञापनों में, फिल्मों में या फिर सिगरेट बीड़ी के पैकेट पर भी लिख भी देखा होगा । कि किस प्रकार की खतरनाक बीमारिइसे इन चीजों से होती है ।

how to quit smoking | धूम्रपान कैसे छोड़े


इस विषय पर जाते हुए हम सीधा काम की बात करते हैं । अगर हम धूम्रपान को छोड़ना चाहते हैं , तो किस प्रकार छोड़ें । बहुत से लोग बोलते हैं, कि हम छोड़ना तो चाहते हैं मगर छूट नहीं रही है ।


आगे हम आपको कुछ स्टेप्स बताएंगे,जिनको अगर आप फॉलो करेंगे, तो इस बुरी आदत को छोड़ना काफी हद तक आसान होगा ।

छोड़ने का दिन निश्चित करें ।

सबसे पहले ऐसी तारीखतय करें जब से आदत को छोड़ना चाहते हैं । आमतौर पर एक 2 हफ्ते बाद या 3 हफ्ते बाद की होनी चाहिए । यानी कि आपने अगर आज फैसला किया कि आप इस आदत को छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है । तो छोड़ने का दिन 2 से 3 हफ्ते के बाद का रखें ।

How to Quit Smoking

यह तारीखआप कुछ विशेष दिन को भी चुन सकते हैं । जैसे कि आपका जन्मदिन, आपके बच्चे का जन्मदिन या नववर्ष का दिन । कोई भी विशेष दिन हो सकता है । अगर आप किसी विशेष दिन को इसके लिए चुनेंगे तो आपकी इस आदत को छोड़ने की संभावना ज्यादा होगी ।

अपना फैसला सबको बताएं ।

एक बार आपने इस आदत को छोड़ने की तारीख तय कर ली, छोड़ने का फैसला कर लिया । उसके बाद आप अपना निर्णय अपने दोस्तों को, परिवार वालों को और अपने जानने वालों को बता दे । ऐसा पाया गया है कि जब इस बारे में हम बात करते हैं और अपना लेने सब कुछ सुना देते हैं । तो मनोवैज्ञानिक स्तर पर एक दबाव बन जाता है । और यह आदत छोड़ने की संभावना बढ़ जाती है । How to Quit Smoking – Bina craving dhumrapan kaise chhode

निकोटिन फ्रीडिंग टेक्निक ।

हमें अब कोशिश करनी है कि जितनी निकोटिन की मात्रा हम अभी तक ले रहे थे वह मात्रा कम करनी शुरू कर दें । हमारा टारगेट होना चाहिए कि 2 या 3 हफ्ते की निश्चित अवधि आते-आते धूम्रपान की मात्रा लगभग आधी रह जाए । अगर आप रोज 10 सिगेरट पीते हैं । तो 15 दिन आते आते उसकी मात्रा 5 ही रह जानी चाहिए ।

मेडिकेशन – दवाइयां ।

आजकल बहुत सी दवाइयां बाजार में उपलब्ध है जो धूम्रपान छुड़ाने में सहायक होती है । आप इन दवाइयों का सेवन आज से ही अपने निर्धारित तिथि से लगभग 15 दिन पहले शुरू कर सकते हैं ।

How to Quit Smoking – Bina craving dhumrapan kaise chhode


आखिर में बात आती है कि हमें एक तिथितो निर्धारित कर ली, और निर्धारित तिथि भी आ गई । अब क्या करना है ? अब आपको सबसे पहले जितनी भी चीजें जो धूम्रपान से संबंधित है, जो सिगरेट और तंबाकू से जुड़े हुए हैं , उन सबको आपको अपने आसपास से पूरी तरह से दूर हटा देना है । जैसे कि एस्ट्रे लाइटर सिगरेट की डिब्बी माचिस इत्यादि ।


धूम्रपान छोड़ना तो बहुत आसान है, लेकिन धूम्रपान छोड़े रखना बहुत मुश्किल है । आपने दृढ़ निश्चय से सिगरेट छोड़ दी । लेकिन अगले दिन जब आप ऑफिस जाएंगे या अपने धूम्रपान करने वाले दोस्तों से मिलेंगे । आपका फिर से मन करेगा धूम्रपान करने का । “एक सिगरेट पी लेता हूं क्या फर्क पड़ता है” मन को कैसे रोका जाए यह बहुत महत्वपूर्ण है ।


मन और तलब को रोकने के लिए आप पांच D का इस्तेमाल कर सकते हैं ।

1. Delay – टालना

Delay – टालना
जब भी मन में फिर से सिगरेट पीने की तलब उठती है तो वह एक लहर की तरह होती है । जो आती है , बढ़ती है, बहती है और फिर कम होकर खत्म हो जाती है । विज्ञान और रिसर्च ऐसा कहते हैं कि हम अगर 3 से 5 मिनट तक अपनी तलब रोकपाए । तो तलब का स्तर या लेवल काफी हद तक कम हो जाता है । उसके बाद उस को कंट्रोल करना आसान हो जाता है ।

2. Destraction – ध्यान बंटाना

Destraction – ध्यान बंटाना
जिस वक्त मन में तलब उठे उस वक्त आप जहाँ भी बैठे हैं । जो भी कर रहे हो । उस काम को छोड़कर , कुछ और करें या वहां से थोड़ा दूर चले जाए । कोई संगीत सुनें । किसी से बात करें या कुछ भी उससे अलग करें । विशेष बात यह है कि आप अपने मन को कुछ विशेष स्थिति से हटाना है ।

3. Deep Breathin – लंबी गहरी सांस लें

जब भी आपको तलब लगे आपको लंबी गहरी सांसें लेने हैं । आपको 1, 2, 3 गिनते हुए सांस अंदर खींचनी है और फिर 1, 2, 3, 4, 5 गिनते हुए साथ बाहर निकालनी हैं । ध्यान रहे कि साँस नांक से अंदर खींचनी है और मुंह से बाहर निकालने हैं । जब हम गहरी लंबी सांस लेते हैं तो हमारा दिमाग काफी हद तक शांत हो जाता है ।

4. Drinking – खूब पानी पिए

जिस वक्त आप सिगरेट छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं । उस वक्त आप अपने पानी पीने की मात्रा बढ़ा दें । जितना ज्यादा आप पानी पिएंगे उतना ही अच्छा रहेगा । ज्यादा पानी पीने से निकोटिन हमारे शरीर से बहकर बाहर निकल जाता है ।

5. Discussion -सलाह करें

आपको तलब लगी है । सिगरेट पीने का मन कर रहा है । तो आप तुरंत अपने परिवार वालों से, दोस्तों से या अपने जानने वालों से इस बारे में बात करें । उन्हें बताएं कि आपका किस प्रकार फिर से सिगरेट पीने का मन कर रहा है । इस प्रकार बात करते हुए आपका तलब का वह समय निकल जाएगा और आप देखेंगे कि आपकी तरफ उस वक्त काफी हद तक कम हो गई है ।


दोबारा शुरू क्यों करते हैं?

अक्सर देखा गया है कि सिगरेट छोड़ देते हैं । लेकिन एक हफ्ता 15 दिन या 1 महीने बाद वापस सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं । ऐसा क्या होता है और इससे किस प्रकार बचा जा सकता है ?

बायोलॉजी और साइंस के अनुसार अगर हम किसी और को धूम्रपान करते हुए देखते हैं । तो हमारे दिमाग में कुछ केमिकल निकलते हैं । जो कि एकदम से हमारी तलब को बढ़ा देते हैं । और उन्ही कमजोर फलों में हम फिर से धूम्रपान करना शुरू कर देते हैं । और एक बार शुरू कर दिया तो वह बढ़ता ही चला जाता है । जब तक कि हम वापस उसी स्थिति में ना पहुंच जाएं जितना कि पहले धूम्रपान किया करते थे ।

कुछऔर परिस्थितियां भी हैं जिन्हें हम दोबारा धूम पा सकते हैं । जैसे कि कोई सुखद भावना(Happy moment) , कोई दुखद भावना (sad moment) कोई विशेष उत्सव (celebration) या कोई विशेष परिस्थिति । ऐसी किसी भी परिस्थितियों में खुद को सावधान रखना है । वह विशेष परिस्थिति या भावना तो आ कर चली जाएगी । लेकिन अगर आपने उस पल में एक भी सिगरेट पी ली तो आपको उसे फिर से छोड़ने में शुरू से उतनी ही मेहनत करनी पड़ेगी ।

आमतौर पर कुछ लोग धूम्रपान छोड़ने के बाद शराब या किसी और नशे के साथ दोबारा से धूम्रपान शुरू कर देते हैं । कई बार आप कभी अपने घर पर बैठे हैं या बोर हो रहे है । कुछ समझ नहीं आ रहा । तो बाहर जाकर सिगरेट ले आए और धूम्रपान शुरू कर दिया । ऐसी परिस्थितियों से बचें ।
यह कुछ साधारण बातें हैं जिसमें लोग दोबारा धूम्रपान शुरू कर देते हैं । हर व्यक्ति का अलग-अलग कारण हो सकता है ।

दोबारा शुरू करने से कैसे बचे ।

जब हम कोई भी नशा छोड़ते हैं । उस समय हमारा दिमाग थोड़ा सा कमजोर और दुखी होता है । ऐसा लगता है जैसे जिंदगी का कोई अहम हिस्सा ही जिंदगी से अलग हो गया है । ऐसे में जब हम दूसरों को ऐसा करते हुए देखते हैं । तो लगता है कि वह बहुत खुश है और हम बहुत दुखी हैं । जितना हो सके कुछ समय के लिए ऐसे लोगों से दूर रखें जो अभी भी स्मोकिंग करते हैं ।

धूम्रपान करते समय सिर्फ निकोटीन की लत नहीं लगती । इस बात की भी लगती है कि हम किसी चीज को बार बार अपने मुंह में ले रहे हैं । इसलिए जब भी सिगरेट छोड़ते हैं तो हमें इस आदत का भी अविकल्प(alternative) अपने शरीर को देना होगा । जैसे की हम अपने मुंह में सिगरेट न रखकर कोई चिंगम या माउथ फ्रेशनर रख सकते हैं । जिससे हमारे शरीर को जो आदत पड़ी हुई है वह बाधित (disturb) ना हो इसे अल्टरनेटिंग द हैबिट (Alternating the Habit) भी कहा जाता है ।

खुद को पुरस्कृत करें ।

जितने पैसो की आप रोज रोज सिगरेट पीते हैं, इतने पैसों से रोज शाम को, हफ्ते में एक बार या महीने में एक बार खुद के लिए कुछ अच्छा या कोई गिफ्ट ले । और महसूस करें कि सिगरेट पीकर मिलने वाली खुशी या आराम में और उसी पैसे से कोई गिफ्ट या कोई उपहार खरीद कर मिलने वाली खुशी में कितना अंतर है ।

व्यायाम करें ।

ऐसा पाया गया है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद भूख बढ़ जाती है । मन में डिप्रेशन जैसा रहने लगता है । व्यायाम से इन दोनों समस्याओं का निदान होगा । व्यायाम से शरीर स्वस्थ होगा और मूड भी अच्छा रहेगा ।

शरीर अच्छा तो मन अच्छा मन अच्छा तो जीवन अच्छा ।

How to Treat Depression Without Medication|डिप्रेशन दूर करें

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how to treat mental illness without medication in hindi

डिप्रेशन क्या है?

डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है । डिप्रेशन की स्थिति में व्यक्ति के मन में केवल नकारात्मक विचार ही आते हैं । व्यक्ति कोई भी काम करना चाहे, उसके मन में विचार आएगा कि उससे वह नहीं हो पाएगा । इस प्रकार नकारात्मक विचार व्यक्ति पर और ज्यादा हावी हो जाते हैं । इससे जीवन में मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जब व्यक्ति डिप्रेशन की स्थिति में होता है

तो अलग-अलग प्रकार की भावनाएं मन में आती हैं । जिनमें से एक है worthlessplace या मैं किसी काम का नहीं । और जब खुद को लेकर ऐसे नकारात्मक भावना आती है, तो व्यक्ति खुद से ही प्यार नहीं करता । यह भावना मन में बनी रहती है कि मैं किसी काम का नहीं । यह विचार बार-बार मन में आता है । ऐसे में व्यक्ति सक्षम होते हुए भी किसी काम को पूरी तरह से नहीं कर पाता ।

बातों को टालने की प्रवृत्ति भी डिप्रेशन में बढ़ जाती है । जिसे प्रोक्रेस्टिनेशन कहते हैं । व्यक्ति अभी भी वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह मान लेता है कि भविष्य में उससे कोई काम नहीं हो पाएगा । और यही विचार व्यक्ति को डिप्रेशन की ओर ज्यादा धकेल देता है ।

अक्सर देखा गया है कि डिप्रेशन में आवश्यकता से अधिक खाने की आदत भी लग जाती है।

जिससे डिप्रेसिव ईटिंग भी कहते हैं । जिससे बहुत ही शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । व्यक्ति न खुद से प्यार कर पाता है, ना दूसरों से । कोई काम समय पर नहीं कर पाता । जीवन में व्यक्ति को सारे रास्ते बंद नजर आते हैं ।

How to Treat Depression Without Medication

कुल मिलाकर देखें तो डिप्रेशन पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से व्यक्ति को खाली कर देता है । सकारात्मकता जीवन से लगभग गायब हो जाती है । ऐसे में अंत में व्यक्ति के मन में एक ही विचार रह जाता है । वह है आत्महत्या का । ऐसा लगता है कि मेरे पास यही एक आखरी रास्ता है । मैं यही कर सकता हूं । और यही करना है । व्यक्ति यह नहीं सोच पाता कि उसके इस विचार से या इस कदम से उसके अपनों पर क्या असर होगा ।

लेकिन किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या आखिरी उपाय बिल्कुल नहीं हो सकता । इस दुनिया में कुछ भी परमानेंट नहीं है । डिप्रेशन भी परमानेंट नहीं है । डिप्रेशन आया है तो डिप्रेशन जाएगा भी । How to Treat Depression Without Medication – depression se kaise nipten 

डिप्रेशन से कैसे निपटें

अब जान लेते हैं कि हम खुद डिप्रेशन को कैसे ठीक कर सकते हैं । डिप्रेशन के कारण जो भी हो हम उन कारणों को तो नहीं बदल सकते, लेकिन थोड़ी सी मेहनत से इससे निजात जरूर पा सकते हैं । आगे दिए गए छोटे-छोटे टिप्स को अपनाकर बड़ी आसानी से डिप्रेशन से छुटकारा पाया जा सकता है । इसमें आप चाहे तो किसी की मदद भी ले सकते हैं ।

1 मिनट चैलेंज

पूरे दिन में हमें खुद को कोई एक काम देना है । जो हमें केवल 1 मिनट के लिए ही करना है । वह काम कुछ नहीं हो सकता है । जैसे कि उदाहरण के लिए रोज शाम को 7:00 बजे, लंबी और गहरी सांस लें । रोज का कोई एक समय निश्चित कर ले, और इस प्रक्रिया को 1 मिनट के लिए रोज नियम से करें ।

इससे जो खुद से हमारा कमिटमेंट खो गया था वह वापस डिवेलप को होना शुरू हो जाएगा । जीवन में जो विल पावर खो गई थी, कम हो गई थी, बढ़नी शुरू होगी । हम खुद को ही यह दिखाएंगे, कि हमने खुद से यह कमिटमेंट किया और उसे पूरा किया ।

राइटिंग थेरेपी

राइटिंग थेरेपी डिप्रेशन में कारगर साबित होती है । आपके मन में जितने भी नकारात्मक विचार आए, फिर चाहे वह कितने भी बुरे क्यों ना हो । उन सब को एक पेपर पर लिखना शुरू करें । जो भी विचार आपको परेशान करता है तब लिखें ।

हमारे मन के विचारों को बाहर निकलने का एक रास्ता चाहिए होता है । अगर हम उनको अंदर रखते हैं वह डिप्रेशन का रूप ले लेते हैं । इसलिए उनको लिखकर बाहर निकाले ।

यह राइटिंग थेरेपी रोज करनी है । जब आप अपने सारे विचारों को लिख ले तो आपको सिर्फ एक काम करना है । सारे पेपर्स को इकट्ठा करें और फाड़ कर फेंक दे । उनको ना देखना है और ना ही फिर से पढ़ना है । आप देखेंगे कि आप बहुत हल्का और अच्छा महसूस करेंगे । और जब हम अच्छा महसूस करते हैं तो डिप्रेशन नहीं रह पाता ।

How to Treat Depression Without Medication – depression se kaise nipten 
शारीरिक गतिविधि

डिप्रेसिव व्यक्ति बहुत ज्यादा आलसी हो जाता है । आलस को खुद पर हावी ना होने दें । शारीरिक गतिविधि शुरू करें । इसके लिए जरूरी नहीं कि आप जिम जाए या योगा क्लास से ज्वाइन करें । आप घर के काम से शुरू करें । आप घर के कामों में हाथ बताएं । घर पर ही कोई हल्का-फुल्का व्यायाम करें । कोई भी खेल खेल सकते हैं । अगर घर में कोई बच्चा है या कोई पेट है आप उसके साथ खेल सकते हैं । और कुछ नहीं तो आप लंबी सैर पर ही निकल जाए । लेकिन कोई ना कोई शारीरिक गतिविधि अवश्य करें ।

जितना आप अपने आप को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखेंगे आपका मानसिक स्वास्थ्य अपने आप अच्छा होता चला जाएगा । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचारों का आगमन होता है ।

मानसिक रोग – Mental disorder symptoms in Hindi

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mental disorder symptoms in hindi

एंग्जाइटी क्या है – मानसिक रोग क्या है ?

क्या आप कभी शेरों से भरे जंगल से अकेले निकले हैं ? आप कभी मगरमच्छों से भरे तालाब में तैरे हैं ?. क्या आप सांपों से भरी अंधेरी गुफा में अकेले रहे हैं ? भले ही आप ऐसी भयावह परिस्थिति से ना गुजरे हों । लेकिन ऐसी परिस्थिति में आप की क्या मानसिक स्थिति होगी, इसका अंदाजा आप जरूर लगा सकते हैं। ऐसे ही मानसिक स्थिति को एंग्जाइटी कहते हैं ।

हर चार में से एक व्यक्ति कभी ना कभी एंग्जाइटी का शिकार जरूर होता है। कभी-कभी व्यक्ति को अंजाना सा डर सताता है । जैसे कि मुझे कोई बीमारी ना हो जाए। घर से बाहर जा रहे हैं एक्सीडेंट ना हो जाए। कोई दुर्घटना ना हो जाए । बच्चे घर से बाहर हैं कोई हादसा ना हो जाए। यही अंजाना डर एंग्जाइटी कहलाता है ।

यह अंजाना डर हम सब भी कभी ना कभी अपने जीवन में महसूस करते हैं। कुछ लोग आसानी से और कुछ लोग थोड़ी सी मेहनत के बाद इस मनोदशा से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन जब यह है मनोदशा हमारे लिए संकट बन जाए और असहनीय हो जाए । तो हम अपने दैनिक कार्यों को ठीक से नहीं कर पाते ।

ऐसी स्थिति में यह एंग्जाइटी डिसऑर्डर यानी घबराहट की बीमारी बन जाती है। जिसका उपचार करवाना आवश्यक है । यह कुछ लोगों को ही होती है जिनको के उपचार की आवश्यकता हो। Mental disorder symptoms in Hindi

यह तो निश्चित है कि अंजाना डर ही एंग्जाइटी है (मानसिक रोग)। मगर सबका अंजाना डर एंग्जाइटी डिसऑर्डर ही हो यह जरूरी नहीं। कभी-कभी अंजाना डर होना एक साधारण बात है। जो किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है ।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण

एंग्जाइटी डिसऑर्डर के 2 लक्षण है । शारीरिक लक्षण और मानसिक लक्षण । मानसिक लक्षण में हमेशा आशंका और भय की स्थिति बनी रहती है। जैसे क्या होगा ? कैसे होगा ? होगा या नहीं होगा ? करना चाहिए या नहीं करना चाहिए ? ऐसी स्थिति में व्यक्ति निर्णय लेने में भी असमर्थ रहता है। दिमाग किसी भी कार्य में एकाग्र नहीं हो पाता ।

कुछ लोग अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं । गले में कुछ अटका हुआ महसूस होता है । छाती जाम हो गई लगता है । पेट में गोला सा महसूस होता है । सांसें फूली हुई महसूस होती है । दिल की धड़कन बढ़ी हुई लगती है । पसीने आते हैं । हाथ पैर ठंडे पड़ जाते हैं । मुंह सूखता है । शरीर में अकड़न थकान और दर्द महसूस होता है । Mental disorder symptoms in Hindi

मानसिक रोग , Mental disorder symptoms in Hindi

एंजायटी डिसऑर्डर में भी अलग-अलग बीमारियां आती है । जैसे पैनिक डिसऑर्डर । जिसमें व्यक्ति को अचानक घबराहट के दौरे आते हैं । जैसे कि अभी जीवन समाप्त होने वाला है ।

जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर।

इस व्यक्ति को अपने अधिकतर क्रियाकलापों में चिंता और घबराहट अपने निर्णय के बाहर लगता है ।

ओबेसीवे डिसऑर्डर।

इसमें व्यक्ति को हमेशा बार-बार फालतू विचार चित्र या फिर कुछ करने की लालसा अनियंत्रित तरीके से मन में आती जाती रहती है । इस पर व्यक्ति नियंत्रण नहीं कर पाता । और घबराहट महसूस करता है करता रहता है ।

पोस्टमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर।- मानसिक रोग का अर्थ स्पष्ट कीजिए

इसमें व्यक्ति ने यदि अपने भूतपूर्व जीवन में किसी दर्दनाक हादसे या घटना का अनुभव किया है । तो वह दर्दनाक हादसा व्यक्ति को बार-बार अनुभव होता रहता है । जिससे व्यक्ति खुद को कभी कभी बहुत ही असहाय महसूस करता है ।

अब जान लेते हैं कि किन व्यक्तियों को उपचार की आवश्यकता है, और किन व्यक्तियों को उपचार की आवश्यकता नहीं है । जिन लोगों को साधारण एंग्जायटी है, उनको सपोर्टिव थेरेपी, जैसे के काउंसलिंग आदि से ठीक किया जा सकता है ।

परंतु जिन लोगों को ऊपर लिखे लक्षणों में से कोई भी मानसिक रोग है, तो उनको किसी विशेषज्ञ की सहायता अवश्य लेनी चाहिए । ऐसे व्यक्तियों को दवाइयां और साइकोथेरेपी की आवश्यकता होती है । दवाइयों से व्यक्ति जल्दी अच्छा महसूस करता है ।

मानसिक रोग स्थिति में सुधार करके व्यक्ति अपने अच्छे मानसिक शक्ति से अपने जीवन में आने वाली हर परिस्थिति से बेहतर ढंग से निपट सकता है । और बिना घबराहट के जीवन का आनंद ले सकता है ।

एंजाइटी हमारे जीवन का एक हिस्सा है । यह कभी भी किसी को भी हो सकते हैं । परंतु जब यह बीमारी का रूप ले लेती है तो जीवन को पीछे की ओर ले जाती है । घबराहट और चिंता में जीवन जीना कोई जीवन नहीं है । इसलिए किसी अच्छे मनोचिकित्सक की सहायता लेना आवश्यक है ।

क्योंकि जीवन आगे बढ़ने का नाम है ।

टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज -टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज

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Symptoms of Typhoid - टाइफाइड के कारण लक्षण और सावधानी

टाइफाइड बुखार क्या है ? यह हमारे शरीर को कैसे और क्या-क्या नुकसान पहुंचाता है यह कैसे होता है? इसके लक्षण क्या होते हैं ? इन सभी विषयों पर आज हम आपको बताएंगे। टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज

टाइफाइड बुखार क्या है ? टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज

यह बुखार जिसे एंटरिक फीवर भी कहा जाता है । यह फीवर सबसे ज्यादा हमारी आंतों को इन्फेक्टेड करता है । जिससे इस बीमारी के मरीज का पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है । यह दो टाइप के बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होता है जिसे salmonella typhi और salmonella paratyphi A और B कहा जाता है ।
यह दोनों टाइप के बैक्टीरिया हमारे मुंह के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं ।

टाइफाइड कैसे होता है ?

जिन लोगों को टाइफाइड होता है उनका अक्सर सवाल होता है कि उन्हें टाइफाइड बार-बार या हर साल कैसे हो जाता है । टाइफाइड फीवर का इन्फेक्शन ओरल ट्रांसमिशन से होता है यानी कि इनफेक्टेड कॉन्टैमिनेटेड फूड और बेवरेज के खाने से होता है


आपको जानकर आश्चर्य होगा यह इंफेक्शन उस व्यक्ति से फैलता है जो कि पहले से ही इनफेक्टेड है । अगर पहले से इनफेक्टेड कोई व्यक्ति अपने मल मूत्र के हाथ ठीक से ना धोए और खाने के किसी सामान को स्पर्श कर दे तो वह उस खाने को भी इनफेक्टेड कर देता है । उसके बाद उस भोजन को खाने वाला व्यक्ति भी टाइफाइड से इनफेक्टेड हो जाता है ।

टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज

टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज -टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज

कभी-कभी टाइफाइड के मरीज को भी पता नहीं होता कि वह टाइफाइड से इनफेक्टेड है । क्योंकि यह ए सिंप्टोमेटिक होते हैं । इनमें टाइफाइड के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते । इसलिए जब कि कहीं बाहर खाना खाएं तो एक साफ सुथरा स्थान ही चुने । वहां जो भी खाना परोसता है उससे पहले आप ठीक से हाथ धोने का अनुरोध करें । आप उसको दस्ताने पहनने के लिए भी बोल सकते हैं ।


इसके अलावा हमारे हाथों से मुंह के संपर्क में आने से भी टाइफाइड फीवर हो सकता है । जानिए कैसे । अगर कोई व्यक्ति अनजाने में किसी ऐसे शौचालय का प्रयोग करता है जो अपने हाथ अच्छी तरह से ना धोए और वह व्यक्ति उन्हें इनफेक्टेड हाथों से खाना खाए तो वह भी टाइफाइड से इनफेक्टेड हो सकता है।


टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज का सबसे कारगर और पहला उपाय यही है कि आप हमेशा साफ-सुथरी जगह पर ही खाना खाए । नंबर दो हमेशा अच्छे से हाथ धो कर ही खाना खाए ।

लक्षण – symptoms of typhoid in adults in hindi – टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज

यह बुखार salmonella typhi और salmonella paratyphi A और B के शरीर में जाने के 7 से 14 दिन बाद दिखाई देता है । और उसके बाद जैसे-जैसे दिन चढ़ता है या शाम होने लगती है तो यह बुखार बढ़ता चला जाता है और अगली सुबह एकदम से शरीर का तापमान नीचे भी आ जाता है । यह प्रक्रिया चलती रहती है।


पेट की समस्या पहले हफ्ते में मरीज को पेट की समस्या शुरू हो जाती है । मरीज के पूरे पेट में तेज दर्द होता है । कई बार तो यह दर्द इतना ज्यादा होता है कि पेट को छूने भर से ही पेट दुखने लगता है । इससे टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति को बहुत तकलीफ होती है । मरीज को रुक रुक कर पेट के दाएं तरफ दर्द महसूस होने लगता है ।


पेशेंट को कब्ज की समस्या बनी रह सकती है खांसी लगातार बनी रहती है चक्कर आने लगते हैं पेशेंट के सर में विशेषकर सर के आगे के हिस्से में बहुत तेज दर्द होना शुरू हो जाता है इसके अलावा मरीज कभी-कभी बहकी बहकी बातें भी करने लगता है । मरीज का बुखार पहले सप्ताह के आखिरी में जाकर 103 से 104 डिग्री तक पहुंच जाता है ।

typhoid symptoms in hindi – टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज

मरीज की छाती और ऊपरी हिस्से में लाल रंग के चकत्ते बन जाते हैं मरीज इन चकतों का साइज 1 से 4 सेंटीमीटर तक हो सकता है । यह चकत्ते मरीज की छाती और पेट से अपने आप गायब भी हो जाते हैं । कई बार गंभीर लक्षण होने पर सोच में खून आने लगता है इसकी वजह से मरीज को पेरीटोनाइटिस नामक बीमारी हो जाती है । जो कि एक गंभीर बीमारी है । बीमारी है इसकी वजह से कई बार ग्रसित व्यक्ति का ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है

टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज – typhoid symptoms and treatment in hindi

जब तक आपका बुखार कम न हो तब तक अपने माथे पर ठंडी पट्टी लगाएं। अगर आप टाइफाइड से पीड़ित हैं तो तुलसी के पत्ते आपके लिए फायदेमंद हैं। इसके एंटी-बायोटिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण टाइफाइड के बैक्टीरिया को दूर करने में काफी मददगार होते हैं। तुलसी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा देती है और बुखार को भी कम करती है दस्त के कारण आपका पेट बहुत खराब हो जाता है। तो तुलसी के पत्ते आपके पेट को शांत करने के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।

तुलसी के 20 पत्ते लें और उसमें 1 इंच अदरक को कद्दूकस कर लें। इसे १ कप पानी में उबाल लें। एक बार जब पानी आधा रह जाए तो आपको इस पानी का इस्तेमाल करना होगा। टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज के लिए आप इस पानी का तीन बार उपयोग कर सकते हैं।

टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज में तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्तों को इस्तेमाल करने का एक और तरीका – 7-8 तुलसी के पत्ते लें और उसका रस निकालें। 1 चुटकी काली मिर्च पाउडर डालें।  और अगर आप दिन में 2-3 बार इसका सेवन करेंगे तो। तब यहटाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज में मददगार होगा।

टाइफाइड के दौरान आपके शरीर में पानी की कमी होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए आपको अपने शरीर को हाइड्रेट रखना होगा। इसके लिए अपने तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाना होगा। 8-10 गिलास पानी, हर्बल टी, ताजे फलों का जूस पिएं। नारियल पानी, ताजी सब्जियों का जूस पिएं।

घर पर बनायें ओआरएस

आप घर में बने ओआरएस का सेवन जरूर करें। घर में बने ओआरएस के लिए, एक गिलास पानी में 1 टीस्पून चीनी और एक चुटकी नमक मिलाएं। दिन भर में इस पानी को हर आधे घंटे के अंतराल में किसी भी रूप में पियें। आपको अपने शरीर को हाइड्रेट करना होगा ताकि आप ग्लूकोज के पानी का सेवन कर सकें। इस तरह डायरिया (टाइफाइड के कारण) से कमजोरी नहीं आती है और बुखार कम करने में मदद मिलेगी। इसलिए आपको टाइफाइड होने पर अपने तरल पदार्थ का सेवन बढ़ा देना चाहिए।

लॉन्ग के फायदे

इसी तरह लौंग भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज में काफी फायदेमंद होती है। लौंग के आवश्यक तेलों में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। टाइफाइड के बैक्टीरिया को मारने की क्षमता रखता है। यह टाइफाइड के 2 स्थायी लक्षणों यानी दस्त और उल्टी को नियंत्रित करने में भी बहुत मददगार है।

7-8 लौंग लें और उन्हें 8 कप पानी में उबाल लें। जब तक पानी आधा न रह जाए तब तक इसे उबाल लें। एक बार जब यह हो जाए, तो आंच बंद कर दें और उस पैन या कंटेनर को ढक्कन से ढक दें। जब तक कमरे के तापमान पर पानी सामान्य हो जाए तब तक इसे ढककर रख दें। इसके बाद पानी को छान कर इसका सेवन करें। यह उपाय 7 दिन तक करते रहें। और आप देखेंगे कि आप बहुत आसानी से टाइफाइड के बैक्टीरिया और बुखार से लड़ने में सक्षम हैं। टाइफाइड का आयुर्वेदिक इलाज

आशा है आप को टाइफाइड की पूरी जानकारी देने में हम सक्षम रहे होंगे । इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप भी इस बीमारी से बचे रह सकते हैं । आखिर स्वास्थ्य ही जीवन है ।